Monday, December 17, 2012
Friday, December 7, 2012
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Wednesday, December 5, 2012
Monday, December 3, 2012
घट सकती है घरों की कीमतें
मुंबई। घरों की कीमतों में गिरावट देखने को मिल सकती है। वजह है कि रिजर्व बैंक ने रियल एस्टेट कंपनियों के कर्ज की रीस्ट्रक्चरिंग की मांग ठुकरा दी है। अब से बिना प्रोविजनिंग के रियल्टी कंपनियों के लोन रीस्ट्रक्चर नहीं होंगे।इस कदम से बैंकों पर कंपनियों से पैसे वसूलने का दबाव बढ़ गया है। काफी मुमकिन है कि रियल्टी कंपनियां पैसे देने के लिए प्रॉपर्टी कम कीमतों पर बेचने के लिए मजबूर होंगी। इस मुद्दे पर अंसल प्रॉपर्टीज के सीओओ दिनेश गुप्ता का कहना है कि रियल एस्टेट के कर्ज पर आरबीआई का नजरिया सही नहीं है। आरबीआई को रियल्टी कंपनियों को कर्ज चुकाने के लिए थोड़ा और समय देना चाहिए। इस फैसले से छोटी अवधि में घरों के दाम कम होने का अनुमान नहीं है। दिनेश गुप्ता के मुताबिक सिर्फ कर्ज के कारण रियल एस्टेट कंपनियां दाम बढ़ा रही हैं ये सही नहीं है। कर्ज के अलावा भी कई ऐसे कारण हैं जिनसे रियल्टी प्रोजेक्ट के दाम बढ़ रहे हैं। इनमें महंगाई एक बड़ा कारण है और सप्लाई में कमी भी एक वजह है। रियल एस्टेट सेक्टर में पूंजी बढ़ाए जाने की जरूरत है जिससे सप्लाई बढ़ेगी और कीमतें नीचे आएंगी। दिनेश गुप्ता के मुताबिक बिल्डरों, डेवलपरों को अपने प्रोजेक्ट पूरे कर बेचने का मौका नहीं मिलेगा तो वे कर्ज कैसे चुका पाएंगे। ये सही नहीं है कि बिल्डर सिर्फ दाम बढ़ाने के लिए प्रोजेक्ट को रोक कर बैठे हैं। इसके पीछे बढ़ती महंगाई के चलते माल की कमी, नए निवेश की कमी जैसे तथ्य मौजूद हैं। इस समस्या से निपटने के लिए रियल एस्टेट कंपनियां अपने प्रोजेक्ट को बेहतर स्थिति वाली रियल्टी कंपनियों के बेच सकती हैं जिनसे कुछ पूंजी जुटाई जा सके। इसके अलावा कंपनियों को बैंकों के अलावा अन्य फाइनेशियल संस्थानों से कर्ज लेने के विकल्प को भी अपनाना चाहिए जिससे वो बैंकों का कर्ज कम कर सकें। रियल एस्टेट कंपनियों में डीएलएफ पर 21,200 करोड़ रुपये का कर्ज है। वहीं यूनिटेक पर 5,566 करोड़ रुपये का कर्ज है। एचडीआईएल पर 3,801 करोड़ रुपये का बैंकों का लोन है और गोदरेज प्रॉपर्टीज पर 1,611 करोड़ रुपये का कर्ज है।
वहीं शोभा डेवलपर्स पर बैंकों का कुल कर्ज 1,292 करोड़ रुपये है। बैंकों ने रियल एस्टेट कंपनियों को दिए गए खराब लोन का आंकड़ा 31 मार्च 2011 तक 41,700 करोड़ रुपये रहा था। वहीं 31 मार्च 2012 तक खराब लोन का आंकड़ा 64,900 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। इस तरह बैंकों के रियल्टी सेक्टर को दिए गए खराब लोन के आंकड़े में 55 फीसदी की साल दर साल वृद्धि दर्ज की गई है।
सरकारी बैंकों की बात की जाए तो रियल एस्टेट कंपनियों को दिया गया खराब लोन का आंकड़ा 31 मार्च 2011 को 36,000 करोड़ रुपये था, जो 31 मार्च 2012 तक बढ़कर 59,100 करोड़ रुपये हो गया। सरकारी बैंकों के रियल एस्टेट कंपनियों को दिए गए खराब लोन में सालाना आधार पर 64 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
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